हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। अर्मेनिया भी इन देशों में से एक है। हालांकि अर्मेनिया में और खासकर यहां के सेंट टेरेसा यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई करना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि यहां स्टूडेंट्स के साथ धोखाधड़ी के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। यहां मेडिकल की पढ़ाई में बहुत सी अनियमितताएं देखने के लिए मिल रही हैं। नियम-कानून की भी कोई परवाह नहीं की जा रही है। इसमें न केवल कई कंसल्टेंट्स शामिल हैं, बल्कि यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी स्टूडेंट्स को ठगने का काम कर रहे हैं।
भारतीय दूतावास ने जारी किया नोटिफिकेशन
आखिरकार, बीते 16 नवंबर को अर्मेनिया में भारतीय दूतावास की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इसमें यह बताया गया है कि अर्मेनिया के सेंट टेरेसा यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय दूतावास के पास बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स की ऐसी शिकायतें पहुंच रही हैं कि यूनिवर्सिटी में इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है। उनकी पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो रही है। उनके पास क्वालिफाइड फैकल्टी का भी अभाव है और सबसे ज्यादा गंभीर आरोप भ्रष्टाचार के लगे हैं।
स्टूडेंट्स से ठगे जा रहे पैसे
शिकायतों में बताया गया है कि स्टूडेंट्स से तरह-तरह से पैसे वसूले जा रहे हैं। उनसे पैसे ठगने की कोशिश की जा रही है। यहां तक कि डिग्री पूरी हो जाने के बाद भी स्टूडेंट्स को डिग्री नहीं देने के बहुत से बहाने यूनिवर्सिटी के पास मौजूद हैं। इसके जरिए भी वे स्टूडेंट्स से पैसा लेने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इंडियन एंबेसी को जो शिकायतें मिली हैं, उनमें यह भी बताया गया है कि कई ऐसे कंसल्टेंट्स हैं, जो यूनिवर्सिटी से मिलकर या खुद से भी स्टूडेंट्स का एडमिशन तो ले ले रहे हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिल रहा है। इस तरीके से वे स्टूडेंट्स से एडमिशन के नाम पर पैसे ठग रहे हैं।
सेंट टेरेसा यूनिवर्सिटी का लाइसेंस नहीं हुआ रिन्यू
साथ में जो सबसे महत्वपूर्ण बात आपको जाननी जरूरी है, वह यह है कि अर्मेनिया की हायर एजुकेशन मिनिस्ट्री ने अब तक सेंट टेरेसा यूनिवर्सिटी के लाइसेंस को रिन्यू नहीं किया है। यदि इस यूनिवर्सिटी के लाइसेंस को रिन्यू नहीं किया जाता है, तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि इस साल से इस यूनिवर्सिटी में जो भी मेडिकल की डिग्री दी जाएगी, उसकी कोई वैधता नहीं रहेगी। हालांकि, जो स्टूडेंट्स पहले ही वहां एडमिशन ले चुके हैं, उन्हें ज्यादा पैनिक होने या परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। फिर भी यदि कोई भी चाहे वे कंसल्टेंट्स हों या फिर यूनिवर्सिटी, आप से किसी भी तरह की अवैध वसूली करने की कोशिश करते हैं, तो आपको एकजुट होकर इसका विरोध जरूर करना चाहिए। अलग से आपको कोई भी पैसा नहीं देना है। जो फीस आपको बताई गई है, यदि उससे ऊपर एक रुपया भी आपसे लेने की कोशिश की जाती है, तो ऐसे में आपको तुरंत इसकी शिकायत करनी चाहिए।
स्टूडेंट्स की मदद के लिए पूर्णता
एक और महत्वपूर्ण चीज आपको यह जान लेनी चाहिए कि लगभग 6-7 साल पहले भारत सरकार की ओर से विदेशों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की सहायता करने के लिए www.madad.gov.in के नाम से एक पोर्टल बनाया गया था। इस पोर्टल पर जाकर आप अपनी सारी जानकारी भरकर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इससे हमारी सरकार के पास यह जानकारी उपलब्ध रहेगी कि हमारे कौन-कौन से स्टूडेंट्स किन-किन देशों में और किन यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह से आपको कभी भी किसी भी तरह की मदद की जरूरत यदि पड़ती है, तो सरकार की तरफ से आपको हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी।
यहां उपलब्ध है नोटिफिकेशन
अर्मेनिया में भारतीय दूतावास की तरफ से जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है, आप इसे वहां के भारतीय दूतावास की वेबसाइट www.eoiyerevan.gov.in के होम पेज पर जाकर प्राप्त भी कर सकते हैं। साथ ही हम आपको यह भी याद दिला दें कि हम पहले से ही आपको अर्मेनिया की इस यूनिवर्सिटी के बारे में आगाह करते आए हैं कि वहां कोई 5 साल का मेडिकल कोर्स नहीं है। केवल अर्मेनिया ही नहीं, बल्कि जिन जिन देशों में और यूनिवर्सिटी में भारतीय स्टूडेंट्स के साथ गलत हो रहा है, उन सभी जगहों की पहचान करके उनके बारे में जानकारी हम आपके सामने इसी तरह से लाने की कोशिश जारी रखेंगे। फिर भी आपको विदेशों में एमबीबीएस में एडमिशन लेने के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि आपके पैसे और मौके बेकार न चले जाएं।