नेशनल मेडिकल कमिशन यानी कि NMC का जो नया गजट नोटिफिकेशन, 2021 आया है, इसका यूक्रेन में एमबीबीएस पर क्या असर पड़ने वाला है, इसके बारे में बहुत से स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स जानना चाह रहे हैं। जब यह गजट नोटिफिकेशन नहीं आया था, तो ऐसे में यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का कोर्स ड्यूरेशन उन स्टूडेंट्स के लिए, जो कि पहले से वहां पढ़ाई कर रहे हैं या फिर जिन्होंने एमबीबीएस के लिए आवेदन कर दिया था, उनके लिए यह 6 वर्ष का था। इसके बाद भारत लौटने के बाद एफएमजी को पास करना होता था। फिर उन्हें 1 साल की इंटर्नशिप यहां करनी होती थी। इस तरह से कोर्स का ड्यूरेशन 7 साल का हो जाता था।

सामने आ रही यह जानकारी
हालांकि, अब जो यूक्रेन वालों की तरफ से कहा जा रहा है या दावा किया जा रहा है, लेकिन जिसके बारे में अब तक कोई पुख्ता प्रमाण हमारे पास उपलब्ध नहीं है, उसके मुताबिक वहां एमबीबीएस 5 + 1 यानी कि 6 साल में पूरा हो जाएगा। इसमें 5 साल की की पढ़ाई और 1 साल की इंटर्नशिप शामिल है। स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स को फिलहाल यही बात बताई जा रही है। इसके बाद भारत लौटकर स्टूडेंट्स को 1 साल की इंटर्नशिप करनी पड़ेगी। इस तरीके से 7 साल में स्टूडेंट्स को एमबीबीएस की डिग्री मिल जाएगी। हालांकि, यदि ऐसा नहीं होता है, तो ऐसे में वहां पर 6 साल की पढ़ाई होगी और 1 साल की इंटर्नशिप। उसके बाद भारत आकर भी 1 साल की इंटर्नशिप करनी पड़ेगी। इस तरीके से कोर्स ड्यूरेशन 8 साल का हो जाता है।
नोटिफिकेशन का असर
हालांकि, इसे लेकर कई तरह की शंका हम सभी के मन में पैदा हो रही है, जिसका समाधान निकाला जाना बहुत ही जरूरी है। जो स्टूडेंट्स यूक्रेन में जनवरी, फरवरी, मार्च या अप्रैल में 2022 में एडमिशन लेने जा रहे हैं, वे नए गजट नोटिफिकेशन के दायरे में आ जाते हैं। ऐसे में इस नोटिफिकेशन के अनुसार उन्हें कम-से-कम 54 महीने की पढ़ाई करनी पड़ेगी। इसके बाद उन्हें वहां 1 साल की इंटर्नशिप भी करनी पड़ेगी।
नोटिफिकेशन से पहले की व्यवस्था
इससे पहले जो यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई हो रही थी, उसके मुताबिक वहां उन्हें 6 साल की पढ़ाई करनी होती थी। तीसरे साल के बाद उन्हें KROK 1 का एग्जाम देना पड़ता था। इसे पास करने के बाद ही वे चौथे साल में प्रवेश पाते थे। इसके बाद स्टूडेंट्स को फिर से 6 साल के बाद KROK 2 एग्जाम देना पड़ता था, जिसके बाद ही स्टूडेंट्स को एमबीबीएस की डिग्री मिल पाती थी।
उठ रहे सवाल
अब जैसा कि स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स को यह बताया जा रहा है कि यूक्रेन में 5 साल की पढ़ाई हो जाने के बाद 1 साल की इंटर्नशिप होगी और उसके बाद KROK का एग्जाम होगा, तो इसे लेकर डाउट की स्थिति इसलिए बन रही है कि ऐसा वास्तव में होगा या नहीं। सवाल यह उठ रहा है कि यूक्रेन अपने पूरे स्ट्रक्चर को बदलेगा या नहीं। रुस को भी ऐसा करना पड़ेगा। जॉर्जिया को भी करना पड़ेगा। वास्तव में देखा जाए तो किसी भी देश के लिए फॉरेन स्टूडेंट्स के लिए ऐसा करना इतना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए भारत में यदि कोई विदेशी स्टूडेंट्स एमबीबीएस की पढ़ाई करना चाहें तो यदि कोर्स की अवधि छोटी रहेगी, तो हर कोई इसे करना चाहेगा, लेकिन यदि यह लंबी होगी तो लोग इसे करने से कतराएंगे। वे इसके प्रति अपना विरोध जताएंगे। जैसे कि हमारे देश में भी यहां स्टूडेंट्स द्वारा विरोध जताया जा रहा है। तो ऐसे में किसी दूसरे देश को हम इस कोर्स को साढ़े 4 साल से साढ़े 5 साल करने की मंजूरी आखिर कैसे प्रदान करेंगे।
पहले क्यों नहीं उठाया कदम?
यूक्रेन, रुस, बेलारुस या इस तरह के और भी देश कोर्स ड्यूरेशन को बदलने वाले हैं या नहीं, फिलहाल इसके बारे में वास्तव में कुछ भी कहना बहुत ही मुश्किल है। वह इसलिए कि यदि पहले ही ये देश 5 + 1 ईयर वाली व्यवस्था को अपना सकते थे, तो आखिर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। यदि पहले ही यह कदम उठा लिया गया होता, तो ऐसे में स्टूडेंट्स का 1 साल बच सकता था। पहले नहीं तो कम-से-कम यदि अभी भी ऐसा कर दिया जाए, तो स्टूडेंट्स का 1 साल बच ही जाएगा। स्टूडेंट्स कम-से-कम यूक्रेन में 6 साल की पढ़ाई कर लेंगे। इसके बाद वे NMC के नोटिफिकेशन के मुताबिक भारत आकर 1 साल की इंटर्नशिप पूरी करेंगे। इस तरीके से 7 साल में उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी हो जाएगी। आज की तारीख में पौने 7 या 7 साल से कम की अवधि में विदेश में कहीं से भी एमबीबीएस की पढ़ाई करना मुमकिन नहीं है।
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