हर स्टूडेंट की है चाहत होती है कि एक दिन वे टॉप पोजीशन पर पहुंच जाएं। भारत के हर स्टूडेंट क्या यह सपना होता है कि वे किसी दिन विदेश के लिए उड़ान भरें। चाहे वह हायर एजुकेशन डिग्री हासिल करने के लिए हो या फिर काम के अवसर के लिए। ऐसे बहुत से विदेशी डेस्टिनेशंस हैं, जिनके पास बहुत ही विकसित इकोनॉमी, कमाल के इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यवस्थित पाठ्यक्रम, अध्ययन के अलग-अलग क्षेत्र और काम के भरपूर अवसर मौजूद हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि इंग्लिश बोलने वाले और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश जैसे कि यूके, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड आदि स्टडी डेस्टिनेशंस के लिए टॉप चॉइस माने जाते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में यूरोप भी स्टूडेंट्स के बीच पढ़ाई को लेकर फेवरेट जगह बनता जा रहा है, लेकिन सभी इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उन्हें वहां पढ़ने का मौका मिल जाए। कई स्टूडेंट्स वहां एडमिशन पाने के लिए स्कोर में उलझ कर रह जाते हैं, तो कई स्टूडेंट्स के लिए आर्थिक समस्या आड़े आ जाती है। इसलिए हमारे स्मार्ट और शिक्षित युवाओं ने अब विदेशों के और भी लोकप्रिय स्टडी डेस्टिनेशंस की तुलना करके पता लगाना शुरू कर दिया है।
विदेश में एमबीबीएस
भले ही वर्तमान परिस्थितियों में विज्ञान विषय ने बहुत से अवसर पैदा कर दिए हैं, लेकिन अब भी हाई स्कूल में जो स्टूडेंट्स साइंस लेकर पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें से बहुत की टॉप चॉइस डॉक्टर बनना ही है। यह भूलने वाली बात बिल्कुल भी नहीं है कि हमारे भारतीय पैरेंट्स जो कि बदलाव को बहुत ही आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं, वे भी अपने बच्चों को डॉक्टर बनाना चाहते हैं। हमारे भारत जैसे देश में अब भी डॉक्टर को एक बड़ा ही सम्मानजनक पेशे के रूप में देखा जाता है। जिस तरीके से हमारे लाइफस्टाइल पैटर्न में बदलाव आते जा रहे हैं, उसे देखते हुए अच्छे डॉक्टरों की मांग इस दुनिया में दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। मेडिकल एजुकेशन, जिसमें कि काफी धैर्य और मेहनत भरी कोशिशों की जरूरत होती है, भारत में पिछले कुछ वर्षों में यह काफी महंगा होता चला गया है। भारतीय स्टूडेंट्स, जो डॉक्टर बनना चाहते हैं, वे अपने सपनों को या तो सिर्फ NEET में हाई स्कोर यानी कि 600 प्लस के नजदीक का स्कोर हासिल करके साकार कर सकते हैं या फिर भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भारी शुल्क देकर वे अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में वैसे स्टूडेंट्स, जो पढ़ाई में औसत हैं या फिर एक मिडिल क्लास बैकग्राउंड से नाता रखते हैं, उनकी उम्मीदें टूट जाती हैं। हालांकि, रुस, कजाकिस्तान, चीन, यूक्रेन, जॉर्जिया और फिलिपिंस आदि ऐसे देश भी हैं, जो कि ऐसे स्टूडेंट्स की उम्मीदों को सस्ती मेडिकल एजुकेशन उपलब्ध कराकर जिंदा रखने का काम कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर देश 12वीं में 50% अंक हासिल करने वाले और नीट क्वालीफाई करने वाले स्कोर के साथ भारतीय स्टूडेंट्स को अपने यहां मेडिकल की पढ़ाई करने का अवसर दे रहे हैं। NEET भारत में ली जाने वाली एक प्रवेश परीक्षा है, जो कि मेडिकल प्रोग्राम में एंट्री के लिए ली जाती है।
बाकी डेस्टिनेशंस, जो कि इन दिनों स्टूडेंट्स के बीच विदेशों में पढ़ाई के लिए लोकप्रिय होते जा रहे हैं, उनमें इटली, पोलैंड, हंगरी, स्पेन, लिथुआनिया और चेक रिपब्लिक आदि शामिल हैं। ये तो मजह कुछ ही हैं। यह लिस्ट और लंबी हो सकती है।
इन देशों को विदेशों में पढ़ाई के लिए सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशंस बनाने वाली वजहें
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि रुस, कजाकिस्तान, चीन, यूक्रेन, जॉर्जिया और फिलीपींस जैसे देश सस्ती कीमत पर एजुकेशन उपलब्ध करा रहे हैं। भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स को अपनी ओर आकर्षित करने की यह सबसे बड़ी वजहों में से एक है। विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई की शुरुआत न्यूनतम लगभग 4 से 5 लाख रुपये सालाना से होती है, जिसमें ट्यूशन फीस और रहने का खर्च भी शामिल है। जो स्टूडेंट्स भारत में सरकारी कॉलेज में एडमिशन नहीं हासिल कर पाते हैं और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना जिनके पॉकेट से बाहर की बात है, उनके लिए ये देश अच्छा विकल्प हो सकते हैं। नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) की ओर से कुछ समय पहले ही मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की सूची को हटा दिया गया है, जिससे उपलब्ध विकल्पों में से चुनना स्टूडेंट्स के लिए आसान हो गया है। जो स्टूडेंट्स विदेश की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना चाह रहे हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है कि जिस भी देश में वे पढ़ाई करने जा रहे हैं, वहां चुनाव करते वक्त वे जरूर देख लें कि यूनिवर्सिटी सरकार से मान्यता प्राप्त है या नहीं। इन देशों में ज्यादातर यूनिवर्सिटीज की डिग्री को दुनियाभर में मान्यता प्राप्त है। यहां रहने का खर्च भी लगभग भारत के ही जैसा है। इन स्टूडेंट्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर हमेशा मौजूद होते हैं। इन यूनिवर्सिटीज की ओर जो चीजें स्टूडेंट्स को बहुत आकर्षित करती है, वे हैं इनके पास मौजूद काफी समृद्ध टीचिंग का अनुभव और दूसरा बड़े ही योग्य फैकल्टी की मौजूदगी, जो कि बेहतर शिक्षा देते हैं। उन सभी स्टूडेंट्स के लिए जो कि महंगी इकोनॉमी वाले देशों जैसे कि यूके, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और यूरोप में पढ़ाई नहीं कर सकते हैं, उनके लिए रुस, कजाकिस्तान, चीन, यूक्रेन, जॉर्जिया और फिलीपींस आदि विदेश में पढ़ने के लिए सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशंस हैं।