यूक्रेन संकट और महामारी से प्रभावित एमबीबीएस स्टूडेंट्स की मदद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश को लेकर NMC ने स्वास्

Team JagVimal 28 Feb 2023 1968 views
mbbs in ukraine

यूक्रेन संकट और महामारी से प्रभावित एमबीबीएस स्टूडेंट्स की मदद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश को लेकर NMC ने स्वास्थ्य मंत्रालय से मांगी राय

नेशनल मेडिकल कमीशन यानी कि NMC ने बीते 6 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है और इसमें बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे यह निर्देशित किया है कि वह 2 महीने के अंदर एक योजना का खाका तैयार करे।

यूक्रेन संकट और महामारी की वजह से विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले एमबीबीएस स्टूडेंट्स को भारत के मेडिकल कॉलेजों में क्लीनिकल ट्रेनिंग की अनुमति देने के लिए और इसे पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो नेशनल मेडिकल कमीशन को एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया था, उसे लेकर एनएमसी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से राय मांगी थी और इसी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस हफ्ते एक मीटिंग बुला सकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 29 अप्रैल को नेशनल मेडिकल कमीशन को दो महीने के अंदर योजना का खाका तैयार करने के लिए कहा था।

इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर उससे यह अनुरोध किया था कि ये स्टूडेंट्स, जो उनके बस के बाहर की परिस्थितियों से इस वक्त प्रभावित हैं, उन्हें बस इस बार एक्सेप्शन के रूप में भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलवा दिया जाए, ताकि वे यहां पर अपने डिग्री प्रोग्राम को पूरा कर लें।

इस चिट्ठी में यह बताया गया है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से वहां के मेडिकल प्रोग्राम्स के अलग-अलग ईयर में पढ़ रहे 18 हजार से भी ज्यादा भारतीय स्टूडेंट्स ऑपरेशन गंगा के तहत भारत लौट आए हैं।

आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि नेशनल मेडिकल कमीशन रेगुलेशंस के अंदर इस तरह का कोई भी नियम नहीं है, जिसके अंतर्गत भारत के किसी मेडिकल कॉलेज में एकेडमिक सेशन के बीच में विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को बीच में भारत लौटने पर उन्हें यहां एडमिशन दिया जाए।

बीते मार्च में रेगुलेटरी बॉडी ने यह कहा था कि वे फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट्स, जिन्होंने कि कोविड-19 या युद्ध जैसी उनके नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों की वजह से अपनी इंटर्नशिप पूरी नहीं कर सके हैं, वे भारत में इसे पूरा कर सकते हैं।

एनएमसी ने एक सर्कुलर में यह कहा था कि स्टेट मेडिकल काउंसिल को भी ऐसा ही करना होगा, लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि भारत में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए आवेदन करने से पहले स्टूडेंट्स ने फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जामिनेशन को पास कर लिया हो।

एनएमसी ने बीते 6 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखी गई अपनी चिट्ठी में यह बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे यह निर्देश दिया है कि वह 2 महीने के अंदर एक योजना तैयार करे। उसे मिली समयसीमा की शुरुआत 29 अप्रैल से ही हो गई है। NMC को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक एक ऐसी योजना तैयार करनी है कि NMC इसके अनुसार विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स जो कि युद्ध या महामारी की वजह से प्रभावित हुए हैं, उन्हें भारत के मेडिकल कॉलेजों में क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरा करने में मदद मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन को यह भी निर्देश दिया है कि वह योजना को इस तरीके से तैयार करे कि जो स्टूडेंट्स यहां क्लिनिकल ट्रेनिंग या इंटर्नशिप पूरा करना चाहते हैं, 12 महीने की इंटर्नशिप के लिए प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन हासिल करने को लेकर उनकी योग्यता की जांच भी की जा सके।

NMC की चिट्ठी में इस बात की ओर भी ध्यान खींचा गया है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के सामने इस बात को रखा था कि यूक्रेन से लौटे हुए बहुत से स्टूडेंट्स अलग-अलग सेमेस्टर में पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन चिट्ठी में कहा गया है कि कोर्ट का यह कहना है कि NMC योजना को इस तरीके से तैयार करें कि इसमें यूक्रेन से लौटे हुए स्टूडेंट्स के लिए सभी जरूरी प्रावधान शामिल हों।

NMC के सचिव ने लिखा है कि यह साफ कर दिया गया है कि NEET के लागू हो जाने के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन किसी भी विदेशी मेडिकल इंस्टिट्यूट में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले या फिर मेडिकल क्वालिफिकेशन हासिल कर चुके भारतीय नागरिकों से संबंधित किसी भी तरह की लिस्ट तैयार करके नहीं रखता है और न ही इस संबंध में कोई आंकड़ा ही वह अपने पास रखता है।

सचिव ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के बीते 29 अप्रैल के आदेश को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय से यह अनुरोध है कि भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट्स को क्लीनिकल ट्रेनिंग उपलब्ध कराने को लेकर वह अपनी राय या सुझाव उपलब्ध कराए।

Request a callback

Share this article

Enquire now whatsapp
Call Us Whatsapp