भारत के ज्यादातर पैरेंट्स का यह सपना होता है कि उनके बच्चे यानी कि भारतीय स्टूडेंट्स विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई करें। बचपन से ही भारतीय समाज में पैरेंट्स, टीचर्स और प्रभावी लोग इंजीनियरिंग या मेडिसिन की पढ़ाई करने की सलाह देने लगते हैं। यदि किसी घर में दो बच्चे हैं, तो इस बात की संभावना रहती है कि उनमें से एक इंजीनियर तो दूसरा डॉक्टर बनेगा। ज्यादातर भारतीय पैरेंट्स का यही सपना होता है। भले ही इंजीनियरिंग की संभावनाएं भारत में साल-दर-साल बढ़ती चली गई है, लेकिन एमबीबीएस के मामले में ऐसा नहीं हुआ है।
इसे समझने के लिए आइए डालते हैं कुछ आंकड़ों पर नजर
- भारत में एमबीबीएस की लगभग 80 हजार सीटें मौजूद हैं, जिनके लिए हर साल देशभर से लगभग 16 लाख स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल होते हैं।
- इसका मतलब यह हुआ कि हर साल डॉक्टर बनने का सपना संजो रहे केवल 5-8% स्टूडेंट्स ही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं।
- ज्यादातर प्राइवेट संस्थानों की सालाना फीस 15 से 20 लाख रुपये की होती है। मिडिल क्लास फैमिली से नाता रखने वाले स्टूडेंट्स भले ही प्रवेश परीक्षा के जरिए एक सीट पा लें, मगर इसके बावजूद प्राइवेट संस्थानों के बेहद महंगे फी स्ट्रक्चर की वजह से उनके लिए एमबीबीएस बहुत दूर की चीज होती है।
हालांकि, सारी उम्मीदें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। जो स्टूडेंट्स डॉक्टर बनना चाहते हैं, वे अपने सपने को पूरा करने के लिए विदेश जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकते हैं। साथ ही बेहद कम फीस में उनकी यह पढ़ाई पूरी हो सकती है। स्टूडेंट्स और पैरेंट्स विदेश में एमबीबीएस में एडमिशन को लेकर अपने मन में कई तरह की शंका और डर पाल लेते हैं। जबकि देखा जाए तो दुनिया अब एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है। विदेश में भारतीय स्टूडेंट्स के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई करना अब बेहद आसान और पहले की तुलना में बहुत ही आरामदायक भी हो गया है।
आइए एक नजर डालते हैं विदेश में एमबीबीएस करने से भारतीय स्टूडेंट्स को मिलने वाले 5 फायदों पर...
1. कोई डोनेशन या कैपिटेशन फी नहीं
जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि भारत में प्राइवेट संस्थान वार्षिक फीस के अलावा भी डोनेशन और कैपिटेशन फीस के रूप में बहुत बड़ा अमाउंट ले लेते हैं। विदेशों में स्थित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ ऐसा नहीं है। चीन, रुस, यूक्रेन आदि देशों में ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों में किसी तरह की डोनेशन या कैपिटेशन फीस नहीं ली जाती है। यहां तक कि भारत में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की तुलना में उनकी ट्यूशन फीस बहुत कम होती है, जो कि सालाना 2.5 लाख से 4.5 लाख रुपये तक बैठती है।
2. एडमिशन के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं
भारत की तरह विदेशों में एमबीबीएस में दाखिले के लिए किसी तरह की प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होती है। यहां एमबीबीएस में एडमिशन पाने के लिए योग्यता भारत में NEET की परीक्षा पास होना और न्यूनतम 50% अंकों के साथ 12वीं पास होना होती है। जो स्टूडेंट्स 75% से अधिक अंक 12वीं में लेकर आते हैं, उन्हें वरीयता दी जाती है।
3. रहने का न्यूनतम खर्च
यही वह चीज है, जिसे लेकर ज्यादातर स्टूडेंट्स और पैरेंट्स चिंतित होते हैं और अपने पैर पीछे खींच लेते हैं। यह बात जरूर है कि एमबीबीएस की पढ़ाई वाले विदेशी देशों में से ज्यादातर यूरोप से हैं, लेकिन यहां पर रहने का खर्च तुलनात्मक रूप से कम है। यूक्रेन का ही उदाहरण हम ले लेते हैं। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीय स्टूडेंट्स को ज्यादा खर्च नहीं करने पड़ते हैं। यहां स्टूडेंट्स हर महीने $ 100 से $ 200 खर्च करके आसानी से रह सकते हैं। साथ ही चीन जैसे एशियाई देशों में भी रहने पर स्टूडेंट्स को हर महीने 7,000 से 14,000 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। निश्चित रूप से यह बहुत हद तक स्टूडेंट्स की लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है।
4. विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर
रुस, यूक्रेन, चीन और फिलीपींस जैसे देशों में मौजूद कैंपस में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ आधुनिक तकनीकों से लैस अस्पताल भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करना बहुत ही फायदेमंद है, क्योंकि यूक्रेन में भारतीय स्टूडेंट्स के लिए मौजूद ज्यादातर मेडिकल यूनिवर्सिटीज दुनिया भर की संस्थाओं जैसे कि डब्ल्यूएचओ, यूनेस्को और यूरोपियन काउंसिल आदि से मान्यता प्राप्त हैं।
5. अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर
स्टूडेंट्स जब एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए विदेशों में जाते हैं, तो वहां पर उन्हें बाकी स्टूडेंट्स से भी घुलने-मिलने का मौका मिलता है। साथ ही इस तरह से उन्हें अलग-अलग देशों और समुदायों के बैकग्राउंड के बारे में भी काफी कुछ सीखने और समझने का भी मौका मिल जाता है। चीन जैसे देश, जहां पर कि बहुत बड़ी आबादी निवास करती है, वहां मेडिकल स्टूडेंट्स को बड़ी संख्या में तरह-तरह के मरीजों को हैंडल करने का अवसर मिल जाता है।
विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई करने से ये 5 लाभ आपको मिलते हैं। इसके साथ कुछ नुकसान भी जरूर हैं, लेकिन फायदों का वजन नुकसान से कहीं ज्यादा है। इसलिए विदेश में एमबीबीएस में एडमिशन लेकर आप अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार कर सकते हैं। इसके बारे में स्पष्ट तरीके से जानकारी हासिल करने के लिए आप जगविमल कंसल्टेंट्स जैसे ग्लोबल एजुकेशन कंसलटेंट से संपर्क कर सकते हैं।